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सुख की तलाश

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एक अमीर आदमी अपने बंगले में गोल्ड की डाइनिंग टेबल पर बैठे चाँदी के बाउल में अनसाल्टेड स्प्राउटस् और बिना शक्कर की चाय पी रहा था। 

फिर कुछ देर बाद..अनसाल्टेड भिंडी की १ सब्जी और बिन घी की चपाती खाकर गर्म खनिज पानी ले रहे थे।

 ८००० करोड़ का घर। ६०० नौकरों को नाश्ता मिल रहा था।५० एसी चल रहे थे।घर के नीचे से प्रदूषण निकल रहा था। ऐसे माहौल में नाश्ता कर रहा था ...

दूर खलिहान में कुएं की मेढ़ पर बैठा मजदूर छोले की तरी वाली सब्जी के साथ ४ परांठे,मसालेदार में भिंडी व अचार खा रहा था। मीठे में गुड़ और पीने के लिए बर्तन में ठंडा पानी था।

सामने हरे-भरे खेत। शुद्ध ठंडी हवा में लहराती फसलें। चिड़ियों की चहचहाहट।वो आराम से खा रहा था।

 ५०० रुपए कमाने वाला मजदूर वह खा रहा था जो ७ अरब रुपए का मालिक नही खा पा रहा था।

बताओ इन दोनों में क्या अंतर है! 

अमीर आदमी और मज़दूर दोनो ६० साल के हैं।

 नाश्ते के बाद अमीर आदमी मधुमेह/ बीपी/ कैलेस्टरौल की गोलीयाँ ले रहा था।मजदूर चूने का पान खा रहा था।

कोई हीन/महान नहीं।सुख की तलाश मत करो सुख महसूस करो। 

अतुलनीय आनंद के उत्पादन पर जीएसटी ज़ीरो है।

खुद को ढूँढे। बाकी सब कुछ गूगल पर है।

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