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पालतू जानवरों की कहानी

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बहुत सारे मैकेनिक हैं वहाँ।

वो उसका ख्याल रखते हैं।

एक मैकेनिक के हाथ से रोटी नीचे गिर जाती है, तो वो कहता है, "साइड में रख दे, कोको खा लेगी.."

ढेरों लोग आते हैं, कोको को देखते हैं, पूछते हैं क्या हुआ..सहानुभूति जताते हैं। कोको को अच्छा लगता है।

मैं रोटी को झाड़ कर साफ करता हूँ तो वो देखती रहती है मुझे।

कोको सात महीने की पिल्ली है।

उसकी पीठ की हड्डी टूट गयी एक्सीडेंट में।

वो बहुत रोयी।

वो किसी गुफा में नहीं थी जहाँ उसे कोई देख सुन नहीं सकता था, वो सड़क किनारे थी जहाँ उसे रोते तड़पते बहुत लोगों ने देखा भी होगा, सुना भी होगा।

वो रेंग कर चलती है।

सूसू पोट्टी करने में बहुत मुश्किल होती है उसे।

पेट दबा दबा कर निकालना पड़ता है।

कोको एक गाड़ी के नीचे सोयी मुझे देखे जा रही है।

पिछले पाँच दिनों में उसे मुझसे जुड़ाव हो गया है, लेकिन वो मुझे पसंद नहीं करती।

वो देखती रहती है कि कब मैं जाऊं।

क्योंकि मैं उसका इलाज करता हूँ।

उसे पता हो या ना हो, लेकिन मुझे लगता है कि वो ठीक हो जाएगी और फ़िर से दौड़ेगी।

दीनू एक बछड़ा है।

उसकी गर्दन पर बहुत बड़ा छेद हो गया है।

बीच बाज़ार में रहता है।

बहुत लोगों ने उसे देखा, लेकिन क्या कर सकते हैं?

सबकी अपनी अपनी मजबूरियाँ हैं।

आखिरकार दीनू को सबने भगा कर वहाँ बैठने को मजबूर कर दिया है जहाँ लोग खुले में पेशाब करते हैं।

पिछले पाँच दिनों में दीनू का भी मुझसे जुड़ाव हो गया है।

उसको समझ है कि इलाज से वो ठीक हो जाएगा।

मैं चाहता हूँ वो बाज़ार में बैठे।

मैं चाहता हूँ मेरे आगे उसे कोई भगा कर दिखाए।

लेकिन दीनू इस लफड़े में नहीं पड़ना चाहता।

वो जल्दी ठीक हो जाएगा।

वो बाज़ार में घूमेगा।

मैं भी घूमूँगा उसके साथ।

शेरू के मुँह और आंखों के बीच बहुत बड़ा घाव हो गया है।

अनगिनत कीड़े उसको खाये जा रहे थे।

शेरू को किसी ने पाल कर छोड़ दिया था।

उसकी कद काठी ऐसी है कि अंधेरे में वो शेर ही लगता है।

लेकिन वो अभी लाचार है, वरना मज़ाल कि कोई कोई कभी पानी फेंक कर भगाए, कभी दुत्कार कर भगाए..बिल्कुल भी नहीं।

वो मुझसे मिलने आता है।

और दवाई देखते ही भाग जाता है।

वो मुझसे कहीं ज़्यादा ताकतवर है, इसलिए उसका इलाज करना बहुत बड़ी चुनौती है।

एक दिन भी इलाज छूटा तो उसका मामला बिगड़ जाएगा।

पिछले पाँच दिन में उसका घाव काफी अच्छा हुआ है।

लाली आठ महीने की कुतिया है।

बहुत सीधी है।

फ़िर भी उसकी आँख फोड़ दी किसी ने।

बायीं आँख बाहर निकल गयी थी उसकी।

वो मुझसे जब पहली बार मिली तो मैं उसको देख कर ही तड़प गया।

उसके इलाज में कोई दिक्कत नहीं आयी।

एक बार पकड़ में आ जाती है तो इलाज अच्छे से करवा लेती है।

पिछले पाँच दिनों में वो मेरी अच्छी दोस्त बन चुकी है।

और अब उसकी आँख भी अच्छी हो चली है।

बाबला को मैं एकदम नहीं अच्छा लगता।

उसका एक पैर खराब हो गया था तब मैं ही उसे अस्पताल ले गया था।

उसे याद है कि उसके तीन पैर का होने में मेरा ही हाथ है।

उसकी गर्दन पर कोई छोटी गाड़ी चढ़ गई।

बचना मुश्किल हो जाता है ऐसे में, लेकिन वो बच गया।

लहूलुहान स्थिति में मुझे देखते ही भाग जाता है।

उसको पकड़ना बहुत मुश्किल है, लेकिन जैसे तैसे पकड़ में आता है और जैसे तैसे दवाई होती है उसकी।

पिछले पाँच दिनों में काफी सुधार हुआ है उसको।

मोनी एक बिल्ली है।

पाँचवी मंज़िल से गिर गयी।

उसका तड़प तड़प कर रोना बहुत दर्दनाक एहसास था।

उसके पेट में बच्चे थे। 

मैंने उन्हें छुआ था।

उसकी पीठ टूट चुकी थी।

दो बच्चे थे, पेट में ही मर गए थे।

उसने मुझे हल्की खरोचें मारी।

कहते हैं, बिल्लियाँ जिसे खरोचें मारें, उसे बहुत चाहती हैं।

मोनी ठीक तो नहीं हो पाएगी, लेकिन उसको अच्छा घर मिल गया है।

वो पूरी एक रात उस बिल्डिंग के नीचे ही तड़पती रही, लेकिन लोगों की अपनी मजबूरियाँ थीं।

पिछले पाँच दिनों में वो काफी नॉर्मल हुई है।

अपने मरे हुए बच्चों को देखने के बाद भी।

शंकरा अभी एक हफ्ते पहले पैदा हुआ है।

उसके घुटने में कीड़े पड़ गए हैं।

ना माँ का दूध मिलता उसको, ना उसको पालने वाले उसका कोई इलाज करते हैं, क्योंकि वो बछड़ा है।

लोग दूध लेने आते हैं, कोई उसको केला दे देता है, कोई रोटी..

ढेर सारा खाना उसके पास पड़ा हुआ सड़ रहा है।

ऊपर से उसका घुटना भी।

एक हफ्ते का वो बच्चा पैदा ही नहीं हुआ होता तो अच्छा था, लेकिन वो पैदा हो गया।

पिछले पाँच दिन में अपनी माँ से ज़्यादा वो मुझे पहचानने लगा है।

उसका घाव भर गया है।

वो बहुत प्यारा है।

जब तक ज़िन्दा रहेगा, मैं उसे बहुत प्यार करता रहूँगा।

छोटू, रोज़ी, मैनी, टूटू, रॉबर्ट, रस्टी..ये मुझे पिछले पाँच दिनों में मिले। कोई गाय, कोई बछड़ा, कोई कुत्ता..इन सबके घाव हल्के थे, जो एक दिन में ही बढ़ जाते।

ये सारे मुझे तब मिले, जब मैं पाँच दिन पहले निकला था एक काले रंग के कुत्ते का घाव देखने।

वो कुत्ता मुझे नहीं मिला।

कुछ लोगों ने बताया कि वो बार बार गिर रहा था..कुछ लोगों ने बताया कि मर गया।

वो मुझे कहीं नहीं मिला।

शायद वो मर गया।

मैं उसके मरने से दुखी नहीं हुआ।

लेकिन मैं उसे देख नहीं पाया, उससे मिल नहीं पाया।

मैंने प्यार से उसका नाम शम्भू रखा।

शम्भू अपने पीछे दस से ज़्यादा जीवों को जीवन दे गया।

पिछले पाँच दिनों में मुझे बहुत खूबसूरत कहानियाँ मिलीं, लेकिन शम्भू की कहानी ने मुझे रुला ही दिया..

शम्भू को प्यार


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