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एमबीए की पढ़ाई पूरी कर चुके दो सहपाठी महेश और प्रवीण एक कंपनी के बुलावे पर इंटरव्यू देने पहुँचे। एमबीए में टॉपर रहे महेश को पहले बुलाया गया। एक साक्षात्कारकर्ता ने उससे कहा- फ्रेशर होने की वजह से हम आपको ट्रेनी एक्जीक्यूटिव के रूप में रखेंगे। आपको चार हजार रुपए महीना सेलरी मिलेगी। आपके कार्य प्रदर्शन के आधार पर इसे बढ़ा दिया जाएगा। क्या यह आपको मंजूर है?
महेश बोला- सर, एक एमबीए टॉपर को इतनी कम सेलरी। यदि मैं इसे स्वीकार कर लेता हूँ तो लोग क्या कहेंगे, मेरे घर वाले क्या सोचेंगे। अधिकारी- टॉपर होने का मतलब यह नहीं कि आप काम भी अच्छा करेंगे। आपके बायोडेटा को देखते हुए आपका चयन किया गया है वरना तो हम फ्रेशर को रखने से बचते हैं। महेश- नहीं सर, मैं इतनी कम सेलरी पर काम नहीं कर पाऊँगा। और वह केबिन से निकल गया।
बाहर आकर वह प्रवीण से बोला- यहाँ बेकार समय बर्बाद करने से अच्छा है कि हम वापस चलें। तभी प्रवीण का बुलावा आ गया। वह महेश से बोला- मैं इंटरव्यू तो देता हूँ। कम से कम इसका तो अनुभव मिलेगा। कुछ समय बाद प्रवीण ने बाहर आकर महेश को खुशी-खुशी बताया कि उसकी नौकरी लग गई है। इस पर महेश ने पूछा- सेलरी क्या है? प्रवीण- तीन हजार रुपए।
महेश- इतने कम पैसों में तू कैसे मान गया? प्रवीण- पैसों का क्या है, एक बार अनुभव मिल जाएगा तो पैसे भी बढ़ जाएँगे। महेश- पागल है तू। इतनी कम सेलरी लोगों को बताएगा तो वे क्या कहेंगे? क्या तुझे अपने स्टेटस की भी चिंता नहीं है? देखना, कम से शुरू करके तू ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाएगा। मैं तो अच्छी पोस्ट और सेलरी मिलने पर ही करियर शुरू करूँगा।
दोस्तो, महेश आज भी नौकरी की तलाश में भटक रहा है, जबकि प्रवीण एक अच्छी मल्टीनेशनल कंपनी में जनरल मैनेजर बन चुका है। वह पैसे की चिंता किए बिना जी-तोड़ मेहनत करके अनुभव हासिल करता गया। और कहते हैं न कि यदि आपके पास अनुभव है तो फिर पैसा तो खुद आपके पास आएगा, आपको उसके पीछे भागने की जरूरत नहीं।
इसके साथ ही वह इसलिए भी सफल रहा, क्योंकि उसने कभी यह चिंता नहीं की कि लोग क्या कहेंगे।
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