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संस्कारों का महत्व

 

संस्कारों का महत्व

शनिवार का दिन था। राजू, मोना और समीर अपने-अपने कमरों में थे। राजू अपने लैपटॉप पर गेम खेल रहा था, मोना मोबाइल में इंस्टाग्राम देख रही थी, और समीर हेडफोन लगाकर गाने सुन रहा था।

तभी दरवाजे की घंटी बजी। माँ ने दरवाजा खोला, तो सामने उनके पुराने मित्र शर्मा अंकल खड़े थे, उनके साथ उनका बेटा राहुल भी था। माँ के चेहरे पर मुस्कान फैल गई।

"अरे शर्मा जी! कितने दिनों बाद मिले हैं! आइए, आइए अंदर आइए," माँ ने उत्साह से कहा।

"हाँ भाभी, सोचा आज पुराने दिनों की यादें ताज़ा की जाएं," शर्मा अंकल हँसते हुए बोले।

माँ ने तुरंत उन्हें सोफे पर बिठाया और पानी लाकर दिया। राहुल ने बड़ी नम्रता से माँ को प्रणाम किया और मुस्कुराते हुए कहा, "कैसी हैं आंटी?"

माँ ने आशीर्वाद देते हुए कहा, "अरे वाह, बहुत संस्कारी बच्चा है! बिल्कुल अपने पापा जैसा!"

फिर माँ को ध्यान आया कि उनके बच्चे तो अपने कमरे में हैं। उन्होंने आवाज़ लगाई, "राजू, मोना, समीर! देखो, कौन आया है!"

पर किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। माँ को थोड़ा अजीब लगा। उन्होंने दोबारा आवाज़ दी, "बच्चों, जल्दी आओ, शर्मा अंकल आए हैं!"

अब तीनों अनमने ढंग से अपने कमरे से बाहर निकले। राजू की नज़रें अब भी मोबाइल स्क्रीन पर थीं, मोना ऊबते हुए धीरे-धीरे चल रही थी, और समीर ने सिर्फ एक नजर उठाकर देखा।

जब वे ड्राइंग रूम में पहुंचे, तो राजू और मोना ने बिना कोई उत्साह दिखाए हल्का सा सिर हिलाया और धीमे स्वर में बोले, "नमस्ते अंकल।" समीर तो कुछ बोला ही नहीं, बस हाथ जोड़कर सिर झुका लिया और तुरंत मुड़कर वापस जाने लगा।

शर्मा अंकल ने मुस्कुराकर कहा, "कैसे हो बच्चों?"

राजू ने सिर हिलाया, "ठीक हैं अंकल," और फिर मोबाइल में देखने लगा।

मोना ने हल्की मुस्कान दी और कहा, "हाँ, हम अच्छे हैं," और फिर अपने फोन को देखने लगी।

राहुल यह देखकर हैरान था। वह सोचने लगा, "ये लोग इतने ठंडे तरीके से क्यों मिल रहे हैं? क्या इन्हें मेहमानों का स्वागत करना नहीं आता?"

शर्मा अंकल भी यह सब देख रहे थे, लेकिन कुछ बोले नहीं। उन्होंने माँ की ओर देखा और हल्के से मुस्कुराए, जैसे उन्हें समझ आ गया हो कि बच्चों को यह सिखाने की जरूरत है कि सामाजिक व्यवहार भी एक जरूरी गुण है।

माँ को यह देखकर शर्मिंदगी महसूस हुई। उन्होंने कोशिश की कि बच्चे बैठें और बातचीत करें, लेकिन तीनों ही बहाना बनाकर वापस अपने कमरों में चले गए।

जब खुद महसूस हुआ

कुछ दिन बाद, राजू अपने दोस्त आदित्य के घर गया। जैसे ही उसने दरवाजे की घंटी बजाई, दरवाजा खोलते ही आदित्य के छोटे भाई आरव ने मुस्कुराकर कहा, "भैया, आप अंदर आइए न!"

राजू थोड़ा हैरान हुआ क्योंकि वह ऐसे स्वागत की उम्मीद नहीं कर रहा था। जैसे ही वह अंदर आया, आदित्य की माँ रसोई से बाहर आईं और मुस्कुराकर बोलीं, "अरे राजू बेटा, कैसे हो? बहुत दिनों बाद आए! आओ, बैठो।"

इतने में आदित्य भी अंदर आया और दोस्ती भरे अंदाज में बोला, "अरे भाई, आ गया तू! बहुत बढ़िया। चल, बैठ पहले, कुछ खाएगा?"

राजू ने मना किया, लेकिन आदित्य की माँ ने कहा, "अरे नहीं, मेहमान के हाथ खाली नहीं जाने देते। मैं अभी कुछ लाती हूँ।"

राजू को यह देख कर बहुत अच्छा लगा। आदित्य के छोटे भाई ने बड़े प्यार से उसके लिए पानी लाकर दिया। आदित्य के पापा भी पास बैठे और मुस्कुराकर बोले, "कैसे हो बेटे? पढ़ाई कैसी चल रही है?"

राजू को पहली बार महसूस हुआ कि जब कोई किसी को सच्चे दिल से अपनापन देता है, तो वह पल कितना खास बन जाता है। वह सोचने लगा, "काश, हम भी ऐसे ही मेहमानों से मिलते।"

इसी तरह, मोना जब अपनी सहेली स्नेहा के घर गई, तो उसने भी कुछ अलग अनुभव किया।

स्नेहा की बुआ ने दरवाजा खोलते ही कहा, "बेटा, अंदर आओ। स्नेहा अभी अंदर है, बुलाती हूँ।"

मोना को यह देख कर अच्छा लगा कि परिवार के अन्य सदस्य भी उसकी देखभाल कर रहे थे।

स्नेहा ने आते ही कहा, "अरे यार, तू आया तो मज़ा आ गया। चल, बैठ। चाय या जूस लाए?"

मोना ने संकोच में कहा, "अरे नहीं, कुछ नहीं चाहिए।"

लेकिन बुआ ने कहा, "बेटा, जब घर कोई आता है, तो उसे अपनापन महसूस कराना बहुत जरूरी होता है। इससे रिश्ते मजबूत होते हैं और प्रेम बना रहता है।"

यह सुनकर मोना को अपने व्यवहार पर पछतावा हुआ।

सामान्य व्यवहार और शिष्टाचार

अगले दिन, स्कूल में टीचर ने भी बच्चों को समझाया, "बच्चों, जब भी कोई मेहमान या जान-पहचान वाला घर आए या रास्ते में मिले, तो यह मत दिखाओ कि तुम बहुत व्यस्त हो। यह असभ्य व्यवहार होता है। बस एक मुस्कान, एक नमस्ते या हल्की-फुल्की बातचीत किसी का भी दिन बना सकती है।"

टीचर ने उदाहरण दिया, "अगर तुम सड़क पर अपने किसी जानने वाले को देखो और उसकी ओर देखकर भी अनदेखा कर दो, तो उसे बुरा लगेगा। यह दिखाने के लिए कि तुम बहुत व्यस्त हो, किसी को नज़रअंदाज़ करना अच्छा व्यवहार नहीं है। समय निकालकर दो मिनट की बातचीत भी रिश्तों को मजबूत बनाती है।"

राजू और मोना को यह बात दिल से लग गई। उन्होंने सोचा, "हम अक्सर ऐसा करते हैं। जब मम्मी-पापा के दोस्त घर आते हैं, तो हम अपने फोन में लगे रहते हैं। जब बाहर किसी जान-पहचान वाले से सामना होता है, तो हम उनकी ओर देख कर भी नज़रें फेर लेते हैं, यह सोचकर कि कहीं वे हमसे बातचीत न करने लगें।"

बदलाव की शुरुआत

अब राजू और मोना दोनों को यह एहसास हो गया था कि मेहमानों का अच्छे से स्वागत करना और बाहर मिलने पर भी सम्मानपूर्वक व्यवहार करना कितना महत्वपूर्ण है।

घर लौटते ही उन्होंने आपस में इस बारे में बात की।

राजू ने कहा, "मोना, मुझे अब समझ आ गया कि हम कितने गलत थे। जब शर्मा अंकल और राहुल हमारे घर आए थे, तो हमने उनसे ठीक से बात भी नहीं की थी। लेकिन जब मैं आदित्य के घर गया, तो उन्होंने मुझे ऐसा महसूस कराया कि मैं उनके परिवार का हिस्सा हूँ।"

मोना ने सहमति जताते हुए कहा, "हाँ, मैं भी स्नेहा के घर गई थी। वहाँ उसकी बुआ ने जिस तरह मुझसे प्यार से बात की, वह मुझे बहुत अच्छा लगा। और हमने अपने ही घर में मेहमानों के साथ कैसा बर्ताव किया था? बस एक सिर हिलाया और फिर अपने कमरे में चले गए!"

अब दोनों ने तय किया कि वे अपने व्यवहार में बदलाव लाएँगे।

नई शुरुआत

अगली बार जब उनके घर मेहमान आए, तो चीज़ें बिलकुल अलग थीं।

दरवाजे की घंटी बजी। इस बार माँ को बुलाने की जरूरत नहीं पड़ी। राजू ने खुद दौड़कर दरवाजा खोला और कहा, "नमस्ते अंकल! आइए, अंदर आइए!"

मोना ने पानी और नाश्ता लाकर मेहमानों के सामने रखा। समीर ने भी अपने फोन को एक तरफ रखकर मुस्कुराते हुए बातचीत में हिस्सा लिया।

शर्मा अंकल बहुत खुश हुए और बोले, "वाह, यह तो बहुत अच्छा बदलाव है! अब सही मायनों में ‘अतिथि देवो भवः’ का पालन हो रहा है!"

शिक्षा:

अच्छे संस्कार और शिष्टाचार किसी भी व्यक्ति की सबसे बड़ी पहचान होते हैं। अतिथियों का स्वागत और दूसरों के प्रति विनम्रता ही हमें एक अच्छा इंसान बनाती है।

  1. अच्छे संस्कार और सामाजिक व्यवहार उतने ही ज़रूरी हैं जितना पढ़ाई।

  2. अतिथियों और जान-पहचान वालों के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करने से रिश्ते मजबूत होते हैं।

  3. किसी को नज़रअंदाज़ करना यह दिखाने के लिए कि हम व्यस्त हैं, अच्छा स्वभाव नहीं है।

  4. एक मुस्कान, एक नमस्ते, और दो मिनट की बातचीत किसी को भी खुश कर सकती है।

  5. संस्कार और शिष्टाचार किसी भी व्यक्ति की सबसे बड़ी पहचान होते हैं।

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