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भैंस का बच्चा और मालिक का निर्णय

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गाँव के एक आँगन में बड़ी काली भैंस बँधी थी। उसके शरीर में असहनीय पीड़ा थी क्योंकि वह प्रसव के समय से गुजर रही थी। घरवाले उसे बस एक "दूध की मशीन" समझते थे, लेकिन उस क्षण वह एक माँ थी, जो जीवन के सबसे कठिन और सबसे सुंदर पल से गुजर रही थी।

रात बीती, और भोर होते-होते उसने एक नन्हें बच्चे को जन्म दिया। उसका छोटा-सा शरीर माँ की गोद में काँप रहा था। भैंस ने तुरंत उसे चाटना शुरू किया, जैसे अपनी गर्माहट से कह रही हो—"डर मत, मैं तेरे साथ हूँ।" बच्चा धीरे-धीरे हिलने लगा, और उसकी पहली आवाज़ उस आँगन में गूँज उठी।

लेकिन यह आवाज़ घरवालों के कानों में मिठास नहीं, बोझ बनकर गूँजी।
मालिक ने आते ही बच्चे पर नज़र डाली। और जैसे ही पता चला कि यह नर है, उसके चेहरे पर निराशा की लकीरें खिंच गईं।

"अरे, ये तो नर निकला। अब क्या करेंगे इसका?"
"हाय-हाय… क़िस्मत ही खराब है," बगल से खड़ी औरत ने कहा।
"भूसा-चारा खाएगा, दूध देगा नहीं, किस काम का?"

इन बातों ने माहौल बदल दिया। जहाँ माँ की आँखों में अपने बच्चे को लेकर गर्व था, वहीं इंसानों की नज़रों में वह एक बेकार वस्तु बन चुका था।

मालिक ने फ़ैसला लिया—"इसे जिंदा रखकर खर्च क्यों बढ़ाना? दूध भी बर्बाद करेगा। बाँध दो इसे अलग। ज़्यादा दिन पालेंगे नहीं।"

तुरंत मोटी रस्सी लाई गई। बच्चे के गले में बाँधी गई, और उसे माँ से दूर कर दिया गया। माँ ने जोर-जोर से खींचा, अपनी पूरी ताक़त से रस्सी तोड़ने की कोशिश की, लेकिन असफल रही। उसकी आँखों से आँसू बहते रहे।

बच्चा बार-बार मिमियाता—"माँ… माँ…"
उसकी छोटी-सी आवाज़ आँगन के हर कोने में गूँज रही थी, लेकिन इंसानी दिलों तक नहीं पहुँच पा रही थी।

कभी-कभी उसे कई-कई घंटों तक भूखा छोड़ दिया जाता, ताकि दूध इंसान के काम आए। वह भूख से काँपता, अपनी जीभ से जमीन चाटता, लेकिन उसे बस एक मुट्ठी सूखा चारा डाल दिया जाता। वहीं सामने उसकी माँ का थन दूध से भरा रहता, पर वह उसे छू भी नहीं पाता।

भैंस की आँखों में लगातार उदासी गहरी होती जा रही थी। वह जब-जब अपने बच्चे को देखती, उसकी साँसें तेज़ हो जातीं। उसकी ममता तड़पकर कहती—"मेरा दूध मेरे बच्चे का है, क्यों छीनते हो?" लेकिन उसके आँसुओं की कोई कीमत नहीं थी।

कुछ हफ्तों में मालिक ने यह भी सोच लिया कि इस नर बच्चे को बेच देना ही बेहतर है। "बेकार पालने से अच्छा है इसे हाट में बेच आएँ, जो भी दाम मिले।"

माँ का दिल यह सुनकर जैसे चूर-चूर हो गया। उसकी आँखों में डर था, दर्द था और यह अहसास था कि अब उसका बच्चा उससे हमेशा के लिए छीन लिया जाएगा।

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