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क्या आपने कभी सोचा है कि हमारा दिन किस तरह शुरू होता है?
सुबह जब हम उठते हैं, तो सबसे पहले क्या महसूस
होता है? कभी ठंडी हवा गालों को छू जाती है, कभी धूप खिड़की पर आकर आँखों में चमक भर देती है। फिर हम पानी से चेहरा
धोते हैं, दांत साफ करते हैं, और नया
दिन शुरू हो जाता है। यह सब इतना सामान्य लगता है कि हम इसे खास समझते ही नहीं।
लेकिन अगर एक दिन इनमें से कुछ भी न मिले तो? सोचकर ही अजीब
लगता है, है ना?
हम
अक्सर यह मान लेते हैं कि जो चीजें हमें रोज़ मुफ्त में मिलती रहती हैं, वे हमेशा मिलती
रहेंगी। हम यह मान लेते हैं कि हवा हमेशा साफ रहेगी, पानी
हमेशा बहता रहेगा और धरती हमेशा हमारे पैरों को संभाले रहेगी। लेकिन बच्चों,
दुनिया में बहुत सारी चीजें समय के साथ बदलती हैं। और अगर हमने
ध्यान न दिया, तो जो चीजें आज बहुत आसानी से मिलती हैं,
कल मुश्किल भी हो सकती हैं।
बच्चों, क्या
आपके भी कुछ ऐसे खास दोस्त होते हैं जिनके बिना आपका दिन अधूरा लगता है? जिनके साथ खेलकर, बातें करके या बस उनके पास रहकर
आपको अच्छा लगता है? आज हम भी तीन ऐसे ही दोस्तों से मिलने
वाले हैं—जो हमारे सबसे पुराने, सबसे सच्चे और सबसे मददगार
दोस्त हैं। आज हम कुछ ऐसे दोस्तों के बारे में करने वाले हैं, जो हमेशा हमारे साथ होते हैं। इतने करीब कि हम उन्हें कभी नोटिस भी नहीं
करते, और इतने जरूरी कि उनके बिना एक पल भी जीना मुश्किल है।
लेकिन मैं अभी तुरंत उनके नाम नहीं बताऊँगा।
अब
मैं आपसे पूछना चाहता हूँ—क्या आप जानते हैं कि हमारे जीवन में ऐसे कौन-से तीन
दोस्त हैं जिनके बिना हमारी दुनिया एक मिनट भी चल नहीं सकती? ये
बोलते नहीं, चलकर हमारे पास नहीं आते,
फिर भी हर पल हमारे साथ रहते हैं। ये हमें जीने की ताकत देते हैं,
प्रकृति को सुंदर बनाते हैं और हमारी दुनिया को सुरक्षित रखते हैं।
जरा सोचिए…
क्या यह हमारे स्कूल के दोस्त हैं?
या पड़ोस के?
या हमारे पालतू जानवर?
नहीं, इन दोस्तों के नाम
अलग हैं। यह दोस्त न खेलते हैं, न बातें करते हैं, न चलते हैं, न दौड़ते हैं। लेकिन फिर भी हमारे जीवन
के हर कदम में हमारा साथ देते हैं। हमारी हर साँस में, हर
घूंट में, हर कदम में यह हमारे साथ होते हैं।
यह
तीन दोस्त हैं—जल, वायु और धरती।
चलिए,
आज जानते हैं कि हम इन तीन खास दोस्तों का खयाल कैसे रख सकते हैं,
ताकि ये हमेशा मुस्कुराते रहें और हमें भी खुश रखें।
मैं
चाहता हूँ कि आप इन्हें सिर्फ नाम से न पहचानें, बल्कि दिल से महसूस करें। इसलिए हम इन्हें
“तत्व” समझकर नहीं, “दोस्त” समझकर जानेंगे—क्योंकि जब हम
किसी को दोस्त मानते हैं, तो उसका खयाल खुद-ब-खुद रखने लगते
हैं।
सोचिए, पानी यानी जल—क्या
सिर्फ पीने की चीज है?
नहीं न?
हमारा शरीर, पेड़ों के पत्ते, नदी की कलकल, बारिश की बूंदें, बादल, खेत, फल, फूल—सबको पानी चाहिए। बिना पानी के तो हमारी हँसी, खेल,
पढ़ाई—कुछ भी पूरा नहीं हो सकता। लेकिन जब हम नल चलाकर भूल जाते हैं,
जब हम पानी बेवजह बहने देते हैं, तो हम अपने
इस दोस्त को चोट पहुँचाते हैं, है न?
फिर
आती है वायु—हवा।
क्या आपने कभी अपनी साँसों की आवाज़ सुनी है? कभी
चुपचाप बैठकर ध्यान दिया कि हवा कैसे हमारे फेफड़ों में जाती है और हमें जिंदा
रखती है?
हम हवा को देख नहीं सकते, छू नहीं सकते,
लेकिन इसका प्यार हर पल महसूस करते हैं।
जब हवा में धुआँ भर जाता है, जब कचरा जलाया
जाता है, जब पेड़ों को काट दिया जाता है—तो हवा दुखी हो जाती
है। यह वही हवा है जो हर सुबह हमारे गालों को ठंडक देती है। क्या कोई भी अपने
दोस्त को दुखी देखना चाहेगा?
और
फिर हमारे तीसरे दोस्त—धरती।
हम इस धरती पर चलते हैं, दौड़ते हैं, खेलते हैं, उछलते हैं, गिरते
हैं—सब कुछ इसी पर होता है। यह हमें खाना देती है—सब्ज़ियाँ, फल, अनाज—सब धरती से आते हैं। हमारे घर, हमारी स्कूल बिल्डिंग, हमारी सड़कें—सब इसी धरती पर
बने हैं।
लेकिन
जब हम हर जगह कचरा फेंक देते हैं, प्लास्टिक जमीन में गाड़ देते हैं, मिट्टी को गंदा और बीमार बना देते हैं—तो धरती को दर्द होता है। हम उसे
साफ रखकर, पेड़ लगाकर, कचरा डस्टबिन
में डालकर उसकी मदद कर सकते हैं।
अब
आपको समझ में आ रहा होगा कि ये तीन दोस्त कितने अनमोल हैं। लेकिन दुख की बात यह है
कि हम में से बहुत से लोग इन दोस्तों को हल्के में लेते हैं। हम हवा को खराब करते
जाते हैं,
पानी को बर्बाद करते जाते हैं, और धरती को
कचरे से भरते जाते हैं।
इसीलिए
यह जरूरी है बच्चों अभी से यह समझ आ जाए कि जल, वायु और धरती हमारे सच्चे मित्र हैं, तो वे बड़े होकर भी इनका प्यार से खयाल रखेंगे।
और
बच्चों,
याद रखना—
दोस्त वो नहीं होता जो सिर्फ हमारे लिए हो,
दोस्त वो होता है जिसके लिए ‘हम’ भी कुछ कर सकें।
जल
को बचाना,
हवा को साफ रखना, धरती को हरा-भरा बनाना—यह
सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, अपने दोस्तों के प्रति हमारी
कृतज्ञता है।
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